इस लम्हे में हम हैं

Wednesday, April 27, 2016 0 Comments A+ a-

इस लम्हे में हम हैं
वक़्त सारा थम गया है
ज़र्रे ज़र्रे में मदहोशी है
सारा आलम महक रहा है
कुछ एहसास है ऐसा
जो दिल को महसूस हो रहा है
क्या जाने क्या बदला
पर कुछ तो हो रहा है
हम खुद में नहीं आज
बेकाबू धडकनें हैं
लब खामोश हैं मगर
आँखें से बयान हो रहा है
दिल का ये राज़
कैसे छुपायें दुनिया से
हम लाख कोशिश करें
इश्क ज़ाहिर हो रहा है
हमने बहुत कोशिश करी
उसे भुलाने की, मगर
उसका चेहरा है कि, हर पल
ज़हन में आ रहा है
हमने तो खायी थी कसमें
की इज़हार-ए-यार न करेंगे
पर अब खुद पर ही से
ये इख्तेयार जा रहा है
ऐ दोस्तों इलज़ाम ना दो शराब को
हमारी मदहोशी का
ये तो उनका सुरूर है
जो हम पे छा रहा है